गैंगस्टर के आरोपी हुए दोष मुक्त

सीएनआरएनओ-यूपीजेएल010074342023

जे.ओ. कोड-UP1777

जीएसटी संख्या 26/2023

न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट, जालौन स्थान उरई पीठासीन अधिकारी-भारतेन्द्र सिंह, (उच्चतर न्यायिक सेवा) जी०एस०टी० सं०-26/2023

उ०प्र० राज्य

............लोक अभियोजक

बनाम

1- रामलखन राठौर उर्फ फौजी, पुत्र गोविन्द लाल,

2- रविन्द्र पाण्डेय, पुत्र गोविंद पाण्डेय

निवासीगण ग्राम व थाना कैलिया, जनपद जालौन।

अभियुक्तगण

मु०अ०सं०-62/2022

धारा-2/3 उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम

थाना- कैलिया, जिला जालौन।

क्र० वादी मुकदमा सं०

श्री आर.एन. यादव

1 वादी पक्ष के अधिवक्ता

श्री शिवदास पाण्डेय (विशेष लोक (अभियोजक)

2 बचाव पक्ष के अधिवक्ता

श्री निर्दोष परिहार, एड०

3 प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत होने का समय व दिनांक

05.12.2022 को 20.16 बजे।

4 अभियोजन साक्षीगण

पी०डब्लू० 2 हरिओम एवं पी०डब्लू० 1 प्रभारी निरीक्षक रविन्द्रनाथ यादव, पी०डब्लू० 3 निरीक्षक नागेन्द्र कुमार पाठक

5 गैंगचार्ट/पी०डब्लू० 1

प्रदर्श क-1

6 कायमी जी.डी./पी०डब्लू० 1

प्रदर्श क-2

7 चिक एफ, आई, आर./पी०डब्लू० 1

प्रदर्श क-3

8 मु०अ०सं० 34/22 का आरोप पत्र/पी०डब्लू० 1

प्रदर्श क-4

9 आरोप पत्र/पी०डब्लू० 3

प्रदर्श क-5

10 अभियोजन स्वीकृति/पी०डब्लू० 3

प्रदर्श क-6

फ़ैसला

1-

अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय का विचारण थाना

कैलिया, जिला जालौन की पुलिस द्वारा मु०अ०सं०-62/2022, अन्तर्गत धारा-2/3
सीएनआरएनडी-यूपीजेएल010074342023

जीएसटी संख्या 26/2023

विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 में मक्ष विचार किये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।

स्वाद के आवश्यक तथ्य इस प्रकार है कि एस.एच 634 आनंद प्रताप सिंह व कां० 1981 शिवम 10 एजी 3733 मय चालक हे० कां० 40 आशुतोष कुमार कटियार तारीखी इमरोजा से वाद देखरेख क्षेत्र शान्ति व्यवस्था चेकिंग तलाश वांछित अपराधी व तफ्तीश पेंडिंग मुकदमा में मामूर थे। गैंग हठौर उर्फ फौजी पुत्र गोविन्द लाल, गैंग सदस्य रविन्द्र पाण्डेय पुत्र बारे में कस्बा कैलिया व अन्य गाँव के कुछ लोगों ने अपनी दबी जुबान से याक्ति हत्या जैसा घृणित जघन्य अपराध कारित किया गया है, जिससे में काफी रोश व्याप्त है तथा धार्मिक व साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की प्रबल इन जनहित में स्वछंद घूमना उचित नहीं प्रतीत होता है। इनके द्वारा किये विराम निम्न है। दिनाँक 23.07.2022 को वादी हरिओम शिवहरे पुत्र मानियासी कस्बा व थाना कैलिया जिला जालौन द्वारा बनाम रामलखन राठौर गोविन्द लाल एवं गैंग सदस्य रविन्द्र पाण्डेय पुत्र गोविन्द पाण्डेय के द्वारा ईन्दप्रकाश शिवहरे को जला कर गम्भीर रूप से घायल किया जिससे इलाज हो जाने के सम्बन्ध में थाना हाजा पर मु०अ०सं० 0034/2022 अन्तर्गत 307/506 भा००० पजीकृत होकर मृत्यु होने पर धारा 436/302/506 अप को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय किया गया। साक्ष्य दिनांक 19.09.2022 की आरोप पत्र अभियुराण के विरुद्ध

अधिनियम दिनांक पटना 06.09.2015 दिनांक सूचना

29 09.

कुमार यादव, थाना कैलिया ि उपरोक्त के विरुद्ध थाना हाजा अभियुक्त रविन्द पाण्डेय उप उक्त अपराधियों के समाज 2/3 गिरोह बन्द समाज पंजीकृत कराया जा रहा

बादी

3-

मु०अ०सं०-62/कलाप निवारण पाण्डेय के विरूव सुपुर्द की गयी

म्यू

संकलित

के विरू अधिनि हुआ 5-

सीएनआरएन

सीएनआरएनडी-यूपीजेएल010074342023

जीएसटी संख्या 26/2023

विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 में मक्ष विचार किये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।

स्वाद के आवश्यक तथ्य इस प्रकार है कि एस.एच 634 आनंद प्रताप सिंह व कां० 1981 शिवम 10 एजी 3733 मय चालक हे० कां० 40 आशुतोष कुमार कटियार तारीखी इमरोजा से वाद देखरेख क्षेत्र शान्ति व्यवस्था चेकिंग तलाश वांछित अपराधी व तफ्तीश पेंडिंग मुकदमा में मामूर थे। गैंग हठौर उर्फ फौजी पुत्र गोविन्द लाल, गैंग सदस्य रविन्द्र पाण्डेय पुत्र बारे में कस्बा कैलिया व अन्य गाँव के कुछ लोगों ने अपनी दबी जुबान से याक्ति हत्या जैसा घृणित जघन्य अपराध कारित किया गया है, जिससे में काफी रोश व्याप्त है तथा धार्मिक व साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की प्रबल इन जनहित में स्वछंद घूमना उचित नहीं प्रतीत होता है। इनके द्वारा किये विराम निम्न है। दिनाँक 23.07.2022 को वादी हरिओम शिवहरे पुत्र मानियासी कस्बा व थाना कैलिया जिला जालौन द्वारा बनाम रामलखन राठौर गोविन्द लाल एवं गैंग सदस्य रविन्द्र पाण्डेय पुत्र गोविन्द पाण्डेय के द्वारा ईन्दप्रकाश शिवहरे को जला कर गम्भीर रूप से घायल किया जिससे इलाज हो जाने के सम्बन्ध में थाना हाजा पर मु०अ०सं० 0034/2022 अन्तर्गत 307/506 भा००० पजीकृत होकर मृत्यु होने पर धारा 436/302/506 अप को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय किया गया। साक्ष्य दिनांक 19.09.2022 की आरोप पत्र अभियुराण के विरुद्ध

अधिनियम दिनांक पटना 06.09.2015 दिनांक सूचना

29 09.

कुमार यादव, थाना कैलिया ि उपरोक्त के विरुद्ध थाना हाजा अभियुक्त रविन्द पाण्डेय उप उक्त अपराधियों के समाज 2/3 गिरोह बन्द समाज पंजीकृत कराया जा रहा

बादी

3-

मु०अ०सं०-62/कलाप निवारण पाण्डेय के विरूव सुपुर्द की गयी

म्यू

संकलित

के विरू अधिनि हुआ 5-

सीएनआरएन
कुमार यादव, थाना कैलिया जिला जालौन बनाम रविन्द्र पाण्डेय पुत्र गोविन्द पाण्डेय उपरोक्त के विरुद्ध थाना हाजा पर उक्त अभियोग में दिनांक 21.05.2014 को आरोप पत्र अभियुक्त रविन्द पाण्डेय उपरोक्त के विरूद्ध माननीय न्यायालय प्रेपित किया जा चुका है। उक्त अपराधियों के समाज विरोधी क्रिया कलापों पर अंकुश लगाने हेतु इनके विरूद्ध धारा 2/3 गिरोह बन्द समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत कराया जा रहा है।

3-वादी मुकदमा द्वारा दी गयी तहरीर के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट मु०अ०सं०-62/2022, अन्तर्गत धारा 2/3 उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम 1986 में अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय के विरूद्ध थाना कैलिया, जिला जालौन में पंजीकृत की गयी। विवेचना विवेचक के सुपुर्द की गयी।

4-विवेचना के दौरान विवेचक ने गवाहान के बयान अंकित किये। बाद विवेचना संकलित साक्ष्य के आधार पर अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय के विरूद्ध अंतर्गत् धारा 2/3 उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम 1986 में आरोपपत्र न्यायालय में दाखिल किया गया, विशेष वाद में पंजीकृत हुआ।

5-तत्पश्चात प्रश्नगत मामले में अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय को नकलें प्राप्त कराने के उपरान्त उनके विरूद्ध दिनांक 10.10.2023 को न्यायालय द्वारा अन्तर्गत धारा 2/3 उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम 1986 के तहत आरोप विरचित किया गया। अभियुक्तगण को आरोप पढ़कर सुनाये व समझाये गये। अभियुक्तगण ने उक्त आरोपों से इंकार किया तथा विचारण की मांग की।

6-अभियोजन साक्ष्य समाप्त होने के उपरान्त अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय के बयान अन्तर्गत धारा 313 दं०प्र०सं० दिनांक 07.04.2025 को लेखबद्ध किये गये, जिसमें अभियुक्त रामलखन राठौर उर्फ फौजी ने अपने बयान में कहा है कि रंजिशन मुझसे रूपये ऐंठने के लिए झूठी कहानी के आधार पर वादी ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराया तथा पुलिस ने उसके प्रभाव में गैंगस्टर

नहीं की थी तथा अभियुक्त रामलखन की चल व अचल संपत्ति के बारे में मैंने कोई जानकारी नहीं की थी तथा यह साक्षी आगे अपनी प्रतिपरीक्षा में कहता है कि यह बात सही है कि धारा 302 भा०दं०सं० के मुकदमे का मैं विवेचक रहा तथा उस मुकदमे की विवेचना में मैंने अभियुक्तों के भय व आतंक के संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया था।

15-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 2 हरिओम ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि मैंने घटना होते हुए नहीं देखी। मेरे पिता जी ने भी घटना होते हुए नहीं देखी। जब अभियुक्तगण पर दरोगा जी गैंगस्टर की कार्यवाही कर रहे थे, तब मुझे कोई सूचना नहीं मिली।

16-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 नागेन्द्र कुमार पाठक, जो इस मामले के विवेचक रहे हैं, ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि हत्या वाले मुकदमे में विवेचक व वादी का बयान मैंने अंकित किया था। वादी द्वारा अपने बयानों में हत्या का कारण पुरानी रंजिश बताया गया था। साक्षी आगे यह भी कहता है कि किसी भी जनता के व्यक्ति द्वारा मुल्जिमान के भय के संबंध में थाना कैलिया में कोई भी मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया गया। अभियुक्तगण की सम्पत्ति के बारे में मेरे द्वारा जानकारी की गयी थी, लेकिन कोई भी सम्पत्ति कुर्क नहीं की गयी थी। मैंने ऐसी कोई भी अवैध तरीके से अर्जित सम्पत्ति नहीं पायी थी। अभियुक्तगण का पंजीकृत गैंग नहीं था। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट तैयार करने वाले पी०डब्लू० 1 ने गैंगचार्ट तैयार करते समय कहा है कि अभियुक्तगण का एक जनपद स्तरीय सक्रिय गिरोह है, जो अपने सदरस्यों के आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने के उददेश्य से हत्या जैसे जघन्य अपराध करते हैं, जिससे आम जनमानस में भय व्याप्त है, लेकिन विवेचना के अनुक्रम में अभियुक्तों द्वारा अपराध कारित करके किसी आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने का कोई साक्ष्य संकलित नहीं किया जा सका तथा अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 ने इस तथ्य को अपनी प्रतिपरीक्षा में प्रकट भी किया है। अतः प्रस्तुत प्रकरण में अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षियों के साक्ष्य से यह प्रकट नहीं है कि अभियुक्तों का एक ऐसा समूह है, जो लोक व्यवस्था को अस्त व्यस्त करने, अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिये कोई अनुचित दुनियावी, आर्थिक, भौतिक या अन्य लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से या तो अकेले या सामूहिक रूप से हिंसा या हिंसा की धमकी या प्रदर्शन या अभित्रास या उत्पीड़न द्वारा या अन्य प्रकार से समाज विरोधी क्रिया कलाप करता हो। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट के अनुमोदन की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है तथा गैंगचार्ट के अनुमोदन से पूर्व संयुक्त बैठक का अभाव है, जो उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी

इसलाम

77-3-24

नहीं की थी तथा अभियुक्त रामलखन की चल व अचल संपत्ति के बारे में मैंने कोई जानकारी नहीं की थी तथा यह साक्षी आगे अपनी प्रतिपरीक्षा में कहता है कि यह बात सही है कि धारा 302 भा०दं०सं० के मुकदमे का मैं विवेचक रहा तथा उस मुकदमे की विवेचना में मैंने अभियुक्तों के भय व आतंक के संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया था।

15-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 2 हरिओम ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि मैंने घटना होते हुए नहीं देखी। मेरे पिता जी ने भी घटना होते हुए नहीं देखी। जब अभियुक्तगण पर दरोगा जी गैंगस्टर की कार्यवाही कर रहे थे, तब मुझे कोई सूचना नहीं मिली।

16-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 नागेन्द्र कुमार पाठक, जो इस मामले के विवेचक रहे हैं, ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि हत्या वाले मुकदमे में विवेचक व वादी का बयान मैंने अंकित किया था। वादी द्वारा अपने बयानों में हत्या का कारण पुरानी रंजिश बताया गया था। साक्षी आगे यह भी कहता है कि किसी भी जनता के व्यक्ति द्वारा मुल्जिमान के भय के संबंध में थाना कैलिया में कोई भी मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया गया। अभियुक्तगण की सम्पत्ति के बारे में मेरे द्वारा जानकारी की गयी थी, लेकिन कोई भी सम्पत्ति कुर्क नहीं की गयी थी। मैंने ऐसी कोई भी अवैध तरीके से अर्जित सम्पत्ति नहीं पायी थी। अभियुक्तगण का पंजीकृत गैंग नहीं था। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट तैयार करने वाले पी०डब्लू० 1 ने गैंगचार्ट तैयार करते समय कहा है कि अभियुक्तगण का एक जनपद स्तरीय सक्रिय गिरोह है, जो अपने सदरस्यों के आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने के उददेश्य से हत्या जैसे जघन्य अपराध करते हैं, जिससे आम जनमानस में भय व्याप्त है, लेकिन विवेचना के अनुक्रम में अभियुक्तों द्वारा अपराध कारित करके किसी आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने का कोई साक्ष्य संकलित नहीं किया जा सका तथा अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 ने इस तथ्य को अपनी प्रतिपरीक्षा में प्रकट भी किया है। अतः प्रस्तुत प्रकरण में अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षियों के साक्ष्य से यह प्रकट नहीं है कि अभियुक्तों का एक ऐसा समूह है, जो लोक व्यवस्था को अस्त व्यस्त करने, अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिये कोई अनुचित दुनियावी, आर्थिक, भौतिक या अन्य लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से या तो अकेले या सामूहिक रूप से हिंसा या हिंसा की धमकी या प्रदर्शन या अभित्रास या उत्पीड़न द्वारा या अन्य प्रकार से समाज विरोधी क्रिया कलाप करता हो। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट के अनुमोदन की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है तथा गैंगचार्ट के अनुमोदन से पूर्व संयुक्त बैठक का अभाव है, जो उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी

इसलाम

77-3-24
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जे.ओ. कोड-UP1777

जी.एस.टी. संख्या 26/2023

हस्ताक्षर

क्रेत न

अपने


नहीं की थी तथा अभियुक्त रामलखन की चल व अचल संपत्ति के बारे में मैंने कोई जानकारी नहीं की थी तथा यह साक्षी आगे अपनी प्रतिपरीक्षा में कहता है कि यह बात सही है कि धारा 302 भा०दं०सं० के मुकदमे का मैं विवेचक रहा तथा उस मुकदमे की विवेचना में मैंने अभियुक्तों के भय व आतंक के संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया था।

15-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 2 हरिओम ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि मैंने घटना होते हुए नहीं देखी। मेरे पिता जी ने भी घटना होते हुए नहीं देखी। जब अभियुक्तगण पर दरोगा जी गैंगस्टर की कार्यवाही कर रहे थे, तब मुझे कोई सूचना नहीं मिली।

16-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 नागेन्द्र कुमार पाठक, जो इस मामले के विवेचक रहे हैं, ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि हत्या वाले मुकदमे में विवेचक व वादी का बयान मैंने अंकित किया था। वादी द्वारा अपने बयानों में हत्या का कारण पुरानी रंजिश बताया गया था। साक्षी आगे यह भी कहता है कि किसी भी जनता के व्यक्ति द्वारा मुल्जिमान के भय के संबंध में थाना कैलिया में कोई भी मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया गया। अभियुक्तगण की सम्पत्ति के बारे में मेरे द्वारा जानकारी की गयी थी, लेकिन कोई भी सम्पत्ति कुर्क नहीं की गयी थी। मैंने ऐसी कोई भी अवैध तरीके से अर्जित सम्पत्ति नहीं पायी थी। अभियुक्तगण का पंजीकृत गैंग नहीं था। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट तैयार करने वाले पी०डब्लू० 1 ने गैंगचार्ट तैयार करते समय कहा है कि अभियुक्तगण का एक जनपद स्तरीय सक्रिय गिरोह है, जो अपने सदरस्यों के आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने के उददेश्य से हत्या जैसे जघन्य अपराध करते हैं, जिससे आम जनमानस में भय व्याप्त है, लेकिन विवेचना के अनुक्रम में अभियुक्तों द्वारा अपराध कारित करके किसी आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने का कोई साक्ष्य संकलित नहीं किया जा सका तथा अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 ने इस तथ्य को अपनी प्रतिपरीक्षा में प्रकट भी किया है। अतः प्रस्तुत प्रकरण में अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षियों के साक्ष्य से यह प्रकट नहीं है कि अभियुक्तों का एक ऐसा समूह है, जो लोक व्यवस्था को अस्त व्यस्त करने, अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिये कोई अनुचित दुनियावी, आर्थिक, भौतिक या अन्य लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से या तो अकेले या सामूहिक रूप से हिंसा या हिंसा की धमकी या प्रदर्शन या अभित्रास या उत्पीड़न द्वारा या अन्य प्रकार से समाज विरोधी क्रिया कलाप करता हो। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट के अनुमोदन की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है तथा गैंगचार्ट के अनुमोदन से पूर्व संयुक्त बैठक का अभाव है, जो उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी

इसलाम

77-3-24

सीएनआरएनओ-यूपीजेएल010074342023

जे.ओ. कोड-UP1777

जी.एस.टी. संख्या 26/2023

हस्ताक्षर

क्रेत न

अपने


नहीं की थी तथा अभियुक्त रामलखन की चल व अचल संपत्ति के बारे में मैंने कोई जानकारी नहीं की थी तथा यह साक्षी आगे अपनी प्रतिपरीक्षा में कहता है कि यह बात सही है कि धारा 302 भा०दं०सं० के मुकदमे का मैं विवेचक रहा तथा उस मुकदमे की विवेचना में मैंने अभियुक्तों के भय व आतंक के संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया था।

15-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 2 हरिओम ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि मैंने घटना होते हुए नहीं देखी। मेरे पिता जी ने भी घटना होते हुए नहीं देखी। जब अभियुक्तगण पर दरोगा जी गैंगस्टर की कार्यवाही कर रहे थे, तब मुझे कोई सूचना नहीं मिली।

16-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 नागेन्द्र कुमार पाठक, जो इस मामले के विवेचक रहे हैं, ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि हत्या वाले मुकदमे में विवेचक व वादी का बयान मैंने अंकित किया था। वादी द्वारा अपने बयानों में हत्या का कारण पुरानी रंजिश बताया गया था। साक्षी आगे यह भी कहता है कि किसी भी जनता के व्यक्ति द्वारा मुल्जिमान के भय के संबंध में थाना कैलिया में कोई भी मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया गया। अभियुक्तगण की सम्पत्ति के बारे में मेरे द्वारा जानकारी की गयी थी, लेकिन कोई भी सम्पत्ति कुर्क नहीं की गयी थी। मैंने ऐसी कोई भी अवैध तरीके से अर्जित सम्पत्ति नहीं पायी थी। अभियुक्तगण का पंजीकृत गैंग नहीं था। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट तैयार करने वाले पी०डब्लू० 1 ने गैंगचार्ट तैयार करते समय कहा है कि अभियुक्तगण का एक जनपद स्तरीय सक्रिय गिरोह है, जो अपने सदरस्यों के आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने के उददेश्य से हत्या जैसे जघन्य अपराध करते हैं, जिससे आम जनमानस में भय व्याप्त है, लेकिन विवेचना के अनुक्रम में अभियुक्तों द्वारा अपराध कारित करके किसी आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने का कोई साक्ष्य संकलित नहीं किया जा सका तथा अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 ने इस तथ्य को अपनी प्रतिपरीक्षा में प्रकट भी किया है। अतः प्रस्तुत प्रकरण में अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षियों के साक्ष्य से यह प्रकट नहीं है कि अभियुक्तों का एक ऐसा समूह है, जो लोक व्यवस्था को अस्त व्यस्त करने, अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिये कोई अनुचित दुनियावी, आर्थिक, भौतिक या अन्य लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से या तो अकेले या सामूहिक रूप से हिंसा या हिंसा की धमकी या प्रदर्शन या अभित्रास या उत्पीड़न द्वारा या अन्य प्रकार से समाज विरोधी क्रिया कलाप करता हो। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट के अनुमोदन की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है तथा गैंगचार्ट के अनुमोदन से पूर्व संयुक्त बैठक का अभाव है, जो उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी

इसलाम

77-3-24
सीएनआरएनओ-यूपीजेएल010074342023

जेओ. कोड-UP1777

जीएसटी संख्या 26/2023

क्रिया कलाप निवारण नियमावली 2021 के नियम 5(3) (ए) के आज्ञापक प्रावधानों का उबंधन है। साथ ही गैंगचार्ट की संस्तुति करने में अपर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा सम्यक सावधानी नहीं बरती गयी एवं जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सरसरी तौर पर गैंगचार्ट का अनुमोदन कर दिया गया है, जो उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण नियमावली 2021 के नियम 16 एवं 17 के प्रावधानों का उल्लंघन है। अभियुक्तों को धारा 3 उत्तर प्रदेश गिरोह बन्द एवं समाज विरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1986 के अन्तर्गत दण्ड दिया जाना न्यायोचित नहीं है एवं अभियुक्तों को प्रस्तुत मामले में दोषमुक्त किया जाना न्यायोचित है।

                          आदेश

जी०एस०टी० नं० 26/2023 उ०प्र० राज्य बनाम रामलखन राठौर उर्फ फौजी आदि में अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय को मु०अ०सं०-62/2022, धारा 3 उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम 1986, थाना कैलिया, जिला जालौन के आरोप से दोषमुक्त किया जाता है।

अभियुक्त रामलखन राठौर उर्फ फौजी इस प्रकरण में जमानत पर है। अभियुक्त रामलखन राठौर उर्फ फौजी के व्यक्तिगत बंधपत्र निरस्त कर उनके प्रतिभूओ को उनके दायित्व से उन्मोचित किया जाता है।

अभियुक्त रविन्द्र पाण्डेय इस प्रकरण में जिला कारागार में निरूद्ध है। अभियुक्त रविन्द्र पाण्डेय का रिहाई आदेश अविलम्ब जिला कारागार प्रेषित हो।

दिनांक-12.08.2025

(भारतेन्द्र सिंह) 12-8.225

विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट,

जालौन स्थान उरई।

सुनाया गया। आज यह निर्णय मेरे द्वारा खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं दिनांकित करके

दिनांक-12.08.2025

(भारतेन्द्र सिंह) सिंड) 12-8-225

विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट, जालौन स्थान उरई।

7

रविंद्र पाण्डेय
सीएनआरएनओ-यूपीजेएल010074342023

जे.ओ. कोड-UP1777

जीएसटी संख्या 26/2023

न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट, जालौन स्थान उरई पीठासीन अधिकारी-भारतेन्द्र सिंह, (उच्चतर न्यायिक सेवा) जी०एस०टी० सं०-26/2023

उ०प्र० राज्य

............लोक अभियोजक

बनाम

1- रामलखन राठौर उर्फ फौजी, पुत्र गोविन्द लाल,

2- रविन्द्र पाण्डेय, पुत्र गोविंद पाण्डेय

निवासीगण ग्राम व थाना कैलिया, जनपद जालौन।

अभियुक्तगण

मु०अ०सं०-62/2022

धारा-2/3 उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम

थाना- कैलिया, जिला जालौन।

क्र० वादी मुकदमा सं०

श्री आर.एन. यादव

1 वादी पक्ष के अधिवक्ता

श्री शिवदास पाण्डेय (विशेष लोक (अभियोजक)

2 बचाव पक्ष के अधिवक्ता

श्री निर्दोष परिहार, एड०

3 प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीकृत होने का समय व दिनांक

05.12.2022 को 20.16 बजे।

4 अभियोजन साक्षीगण

पी०डब्लू० 2 हरिओम एवं पी०डब्लू० 1 प्रभारी निरीक्षक रविन्द्रनाथ यादव, पी०डब्लू० 3 निरीक्षक नागेन्द्र कुमार पाठक

5 गैंगचार्ट/पी०डब्लू० 1

प्रदर्श क-1

6 कायमी जी.डी./पी०डब्लू० 1

प्रदर्श क-2

7 चिक एफ, आई, आर./पी०डब्लू० 1

प्रदर्श क-3

8 मु०अ०सं० 34/22 का आरोप पत्र/पी०डब्लू० 1

प्रदर्श क-4

9 आरोप पत्र/पी०डब्लू० 3

प्रदर्श क-5

10 अभियोजन स्वीकृति/पी०डब्लू० 3

प्रदर्श क-6

फ़ैसला

1-

अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय का विचारण थाना

कैलिया, जिला जालौन की पुलिस द्वारा मु०अ०सं०-62/2022, अन्तर्गत धारा-2/3
सीएनआरएनडी-यूपीजेएल010074342023

जीएसटी संख्या 26/2023

विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 में मक्ष विचार किये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।

स्वाद के आवश्यक तथ्य इस प्रकार है कि एस.एच 634 आनंद प्रताप सिंह व कां० 1981 शिवम 10 एजी 3733 मय चालक हे० कां० 40 आशुतोष कुमार कटियार तारीखी इमरोजा से वाद देखरेख क्षेत्र शान्ति व्यवस्था चेकिंग तलाश वांछित अपराधी व तफ्तीश पेंडिंग मुकदमा में मामूर थे। गैंग हठौर उर्फ फौजी पुत्र गोविन्द लाल, गैंग सदस्य रविन्द्र पाण्डेय पुत्र बारे में कस्बा कैलिया व अन्य गाँव के कुछ लोगों ने अपनी दबी जुबान से याक्ति हत्या जैसा घृणित जघन्य अपराध कारित किया गया है, जिससे में काफी रोश व्याप्त है तथा धार्मिक व साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की प्रबल इन जनहित में स्वछंद घूमना उचित नहीं प्रतीत होता है। इनके द्वारा किये विराम निम्न है। दिनाँक 23.07.2022 को वादी हरिओम शिवहरे पुत्र मानियासी कस्बा व थाना कैलिया जिला जालौन द्वारा बनाम रामलखन राठौर गोविन्द लाल एवं गैंग सदस्य रविन्द्र पाण्डेय पुत्र गोविन्द पाण्डेय के द्वारा ईन्दप्रकाश शिवहरे को जला कर गम्भीर रूप से घायल किया जिससे इलाज हो जाने के सम्बन्ध में थाना हाजा पर मु०अ०सं० 0034/2022 अन्तर्गत 307/506 भा००० पजीकृत होकर मृत्यु होने पर धारा 436/302/506 अप को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय किया गया। साक्ष्य दिनांक 19.09.2022 की आरोप पत्र अभियुराण के विरुद्ध

अधिनियम दिनांक पटना 06.09.2015 दिनांक सूचना

29 09.

कुमार यादव, थाना कैलिया ि उपरोक्त के विरुद्ध थाना हाजा अभियुक्त रविन्द पाण्डेय उप उक्त अपराधियों के समाज 2/3 गिरोह बन्द समाज पंजीकृत कराया जा रहा

बादी

3-

मु०अ०सं०-62/कलाप निवारण पाण्डेय के विरूव सुपुर्द की गयी

म्यू

संकलित

के विरू अधिनि हुआ 5-

सीएनआरएन

सीएनआरएनडी-यूपीजेएल010074342023

जीएसटी संख्या 26/2023

विरोधी क्रियाकलाप निवारण अधिनियम 1986 में मक्ष विचार किये जाने हेतु प्रस्तुत किया गया है।

स्वाद के आवश्यक तथ्य इस प्रकार है कि एस.एच 634 आनंद प्रताप सिंह व कां० 1981 शिवम 10 एजी 3733 मय चालक हे० कां० 40 आशुतोष कुमार कटियार तारीखी इमरोजा से वाद देखरेख क्षेत्र शान्ति व्यवस्था चेकिंग तलाश वांछित अपराधी व तफ्तीश पेंडिंग मुकदमा में मामूर थे। गैंग हठौर उर्फ फौजी पुत्र गोविन्द लाल, गैंग सदस्य रविन्द्र पाण्डेय पुत्र बारे में कस्बा कैलिया व अन्य गाँव के कुछ लोगों ने अपनी दबी जुबान से याक्ति हत्या जैसा घृणित जघन्य अपराध कारित किया गया है, जिससे में काफी रोश व्याप्त है तथा धार्मिक व साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने की प्रबल इन जनहित में स्वछंद घूमना उचित नहीं प्रतीत होता है। इनके द्वारा किये विराम निम्न है। दिनाँक 23.07.2022 को वादी हरिओम शिवहरे पुत्र मानियासी कस्बा व थाना कैलिया जिला जालौन द्वारा बनाम रामलखन राठौर गोविन्द लाल एवं गैंग सदस्य रविन्द्र पाण्डेय पुत्र गोविन्द पाण्डेय के द्वारा ईन्दप्रकाश शिवहरे को जला कर गम्भीर रूप से घायल किया जिससे इलाज हो जाने के सम्बन्ध में थाना हाजा पर मु०अ०सं० 0034/2022 अन्तर्गत 307/506 भा००० पजीकृत होकर मृत्यु होने पर धारा 436/302/506 अप को गिरफ्तार कर चालान न्यायालय किया गया। साक्ष्य दिनांक 19.09.2022 की आरोप पत्र अभियुराण के विरुद्ध

अधिनियम दिनांक पटना 06.09.2015 दिनांक सूचना

29 09.

कुमार यादव, थाना कैलिया ि उपरोक्त के विरुद्ध थाना हाजा अभियुक्त रविन्द पाण्डेय उप उक्त अपराधियों के समाज 2/3 गिरोह बन्द समाज पंजीकृत कराया जा रहा

बादी

3-

मु०अ०सं०-62/कलाप निवारण पाण्डेय के विरूव सुपुर्द की गयी

म्यू

संकलित

के विरू अधिनि हुआ 5-

सीएनआरएन
कुमार यादव, थाना कैलिया जिला जालौन बनाम रविन्द्र पाण्डेय पुत्र गोविन्द पाण्डेय उपरोक्त के विरुद्ध थाना हाजा पर उक्त अभियोग में दिनांक 21.05.2014 को आरोप पत्र अभियुक्त रविन्द पाण्डेय उपरोक्त के विरूद्ध माननीय न्यायालय प्रेपित किया जा चुका है। उक्त अपराधियों के समाज विरोधी क्रिया कलापों पर अंकुश लगाने हेतु इनके विरूद्ध धारा 2/3 गिरोह बन्द समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम के अन्तर्गत अभियोग पंजीकृत कराया जा रहा है।

3-वादी मुकदमा द्वारा दी गयी तहरीर के आधार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट मु०अ०सं०-62/2022, अन्तर्गत धारा 2/3 उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम 1986 में अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय के विरूद्ध थाना कैलिया, जिला जालौन में पंजीकृत की गयी। विवेचना विवेचक के सुपुर्द की गयी।

4-विवेचना के दौरान विवेचक ने गवाहान के बयान अंकित किये। बाद विवेचना संकलित साक्ष्य के आधार पर अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय के विरूद्ध अंतर्गत् धारा 2/3 उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम 1986 में आरोपपत्र न्यायालय में दाखिल किया गया, विशेष वाद में पंजीकृत हुआ।

5-तत्पश्चात प्रश्नगत मामले में अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय को नकलें प्राप्त कराने के उपरान्त उनके विरूद्ध दिनांक 10.10.2023 को न्यायालय द्वारा अन्तर्गत धारा 2/3 उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम 1986 के तहत आरोप विरचित किया गया। अभियुक्तगण को आरोप पढ़कर सुनाये व समझाये गये। अभियुक्तगण ने उक्त आरोपों से इंकार किया तथा विचारण की मांग की।

6-अभियोजन साक्ष्य समाप्त होने के उपरान्त अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय के बयान अन्तर्गत धारा 313 दं०प्र०सं० दिनांक 07.04.2025 को लेखबद्ध किये गये, जिसमें अभियुक्त रामलखन राठौर उर्फ फौजी ने अपने बयान में कहा है कि रंजिशन मुझसे रूपये ऐंठने के लिए झूठी कहानी के आधार पर वादी ने हत्या का मुकदमा दर्ज कराया तथा पुलिस ने उसके प्रभाव में गैंगस्टर

नहीं की थी तथा अभियुक्त रामलखन की चल व अचल संपत्ति के बारे में मैंने कोई जानकारी नहीं की थी तथा यह साक्षी आगे अपनी प्रतिपरीक्षा में कहता है कि यह बात सही है कि धारा 302 भा०दं०सं० के मुकदमे का मैं विवेचक रहा तथा उस मुकदमे की विवेचना में मैंने अभियुक्तों के भय व आतंक के संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया था।

15-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 2 हरिओम ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि मैंने घटना होते हुए नहीं देखी। मेरे पिता जी ने भी घटना होते हुए नहीं देखी। जब अभियुक्तगण पर दरोगा जी गैंगस्टर की कार्यवाही कर रहे थे, तब मुझे कोई सूचना नहीं मिली।

16-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 नागेन्द्र कुमार पाठक, जो इस मामले के विवेचक रहे हैं, ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि हत्या वाले मुकदमे में विवेचक व वादी का बयान मैंने अंकित किया था। वादी द्वारा अपने बयानों में हत्या का कारण पुरानी रंजिश बताया गया था। साक्षी आगे यह भी कहता है कि किसी भी जनता के व्यक्ति द्वारा मुल्जिमान के भय के संबंध में थाना कैलिया में कोई भी मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया गया। अभियुक्तगण की सम्पत्ति के बारे में मेरे द्वारा जानकारी की गयी थी, लेकिन कोई भी सम्पत्ति कुर्क नहीं की गयी थी। मैंने ऐसी कोई भी अवैध तरीके से अर्जित सम्पत्ति नहीं पायी थी। अभियुक्तगण का पंजीकृत गैंग नहीं था। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट तैयार करने वाले पी०डब्लू० 1 ने गैंगचार्ट तैयार करते समय कहा है कि अभियुक्तगण का एक जनपद स्तरीय सक्रिय गिरोह है, जो अपने सदरस्यों के आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने के उददेश्य से हत्या जैसे जघन्य अपराध करते हैं, जिससे आम जनमानस में भय व्याप्त है, लेकिन विवेचना के अनुक्रम में अभियुक्तों द्वारा अपराध कारित करके किसी आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने का कोई साक्ष्य संकलित नहीं किया जा सका तथा अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 ने इस तथ्य को अपनी प्रतिपरीक्षा में प्रकट भी किया है। अतः प्रस्तुत प्रकरण में अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षियों के साक्ष्य से यह प्रकट नहीं है कि अभियुक्तों का एक ऐसा समूह है, जो लोक व्यवस्था को अस्त व्यस्त करने, अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिये कोई अनुचित दुनियावी, आर्थिक, भौतिक या अन्य लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से या तो अकेले या सामूहिक रूप से हिंसा या हिंसा की धमकी या प्रदर्शन या अभित्रास या उत्पीड़न द्वारा या अन्य प्रकार से समाज विरोधी क्रिया कलाप करता हो। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट के अनुमोदन की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है तथा गैंगचार्ट के अनुमोदन से पूर्व संयुक्त बैठक का अभाव है, जो उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी

इसलाम

77-3-24

नहीं की थी तथा अभियुक्त रामलखन की चल व अचल संपत्ति के बारे में मैंने कोई जानकारी नहीं की थी तथा यह साक्षी आगे अपनी प्रतिपरीक्षा में कहता है कि यह बात सही है कि धारा 302 भा०दं०सं० के मुकदमे का मैं विवेचक रहा तथा उस मुकदमे की विवेचना में मैंने अभियुक्तों के भय व आतंक के संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया था।

15-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 2 हरिओम ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि मैंने घटना होते हुए नहीं देखी। मेरे पिता जी ने भी घटना होते हुए नहीं देखी। जब अभियुक्तगण पर दरोगा जी गैंगस्टर की कार्यवाही कर रहे थे, तब मुझे कोई सूचना नहीं मिली।

16-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 नागेन्द्र कुमार पाठक, जो इस मामले के विवेचक रहे हैं, ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि हत्या वाले मुकदमे में विवेचक व वादी का बयान मैंने अंकित किया था। वादी द्वारा अपने बयानों में हत्या का कारण पुरानी रंजिश बताया गया था। साक्षी आगे यह भी कहता है कि किसी भी जनता के व्यक्ति द्वारा मुल्जिमान के भय के संबंध में थाना कैलिया में कोई भी मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया गया। अभियुक्तगण की सम्पत्ति के बारे में मेरे द्वारा जानकारी की गयी थी, लेकिन कोई भी सम्पत्ति कुर्क नहीं की गयी थी। मैंने ऐसी कोई भी अवैध तरीके से अर्जित सम्पत्ति नहीं पायी थी। अभियुक्तगण का पंजीकृत गैंग नहीं था। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट तैयार करने वाले पी०डब्लू० 1 ने गैंगचार्ट तैयार करते समय कहा है कि अभियुक्तगण का एक जनपद स्तरीय सक्रिय गिरोह है, जो अपने सदरस्यों के आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने के उददेश्य से हत्या जैसे जघन्य अपराध करते हैं, जिससे आम जनमानस में भय व्याप्त है, लेकिन विवेचना के अनुक्रम में अभियुक्तों द्वारा अपराध कारित करके किसी आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने का कोई साक्ष्य संकलित नहीं किया जा सका तथा अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 ने इस तथ्य को अपनी प्रतिपरीक्षा में प्रकट भी किया है। अतः प्रस्तुत प्रकरण में अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षियों के साक्ष्य से यह प्रकट नहीं है कि अभियुक्तों का एक ऐसा समूह है, जो लोक व्यवस्था को अस्त व्यस्त करने, अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिये कोई अनुचित दुनियावी, आर्थिक, भौतिक या अन्य लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से या तो अकेले या सामूहिक रूप से हिंसा या हिंसा की धमकी या प्रदर्शन या अभित्रास या उत्पीड़न द्वारा या अन्य प्रकार से समाज विरोधी क्रिया कलाप करता हो। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट के अनुमोदन की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है तथा गैंगचार्ट के अनुमोदन से पूर्व संयुक्त बैठक का अभाव है, जो उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी

इसलाम

77-3-24
सीएनआरएनओ-यूपीजेएल010074342023

जे.ओ. कोड-UP1777

जी.एस.टी. संख्या 26/2023

हस्ताक्षर

क्रेत न

अपने


नहीं की थी तथा अभियुक्त रामलखन की चल व अचल संपत्ति के बारे में मैंने कोई जानकारी नहीं की थी तथा यह साक्षी आगे अपनी प्रतिपरीक्षा में कहता है कि यह बात सही है कि धारा 302 भा०दं०सं० के मुकदमे का मैं विवेचक रहा तथा उस मुकदमे की विवेचना में मैंने अभियुक्तों के भय व आतंक के संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया था।

15-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 2 हरिओम ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि मैंने घटना होते हुए नहीं देखी। मेरे पिता जी ने भी घटना होते हुए नहीं देखी। जब अभियुक्तगण पर दरोगा जी गैंगस्टर की कार्यवाही कर रहे थे, तब मुझे कोई सूचना नहीं मिली।

16-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 नागेन्द्र कुमार पाठक, जो इस मामले के विवेचक रहे हैं, ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि हत्या वाले मुकदमे में विवेचक व वादी का बयान मैंने अंकित किया था। वादी द्वारा अपने बयानों में हत्या का कारण पुरानी रंजिश बताया गया था। साक्षी आगे यह भी कहता है कि किसी भी जनता के व्यक्ति द्वारा मुल्जिमान के भय के संबंध में थाना कैलिया में कोई भी मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया गया। अभियुक्तगण की सम्पत्ति के बारे में मेरे द्वारा जानकारी की गयी थी, लेकिन कोई भी सम्पत्ति कुर्क नहीं की गयी थी। मैंने ऐसी कोई भी अवैध तरीके से अर्जित सम्पत्ति नहीं पायी थी। अभियुक्तगण का पंजीकृत गैंग नहीं था। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट तैयार करने वाले पी०डब्लू० 1 ने गैंगचार्ट तैयार करते समय कहा है कि अभियुक्तगण का एक जनपद स्तरीय सक्रिय गिरोह है, जो अपने सदरस्यों के आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने के उददेश्य से हत्या जैसे जघन्य अपराध करते हैं, जिससे आम जनमानस में भय व्याप्त है, लेकिन विवेचना के अनुक्रम में अभियुक्तों द्वारा अपराध कारित करके किसी आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने का कोई साक्ष्य संकलित नहीं किया जा सका तथा अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 ने इस तथ्य को अपनी प्रतिपरीक्षा में प्रकट भी किया है। अतः प्रस्तुत प्रकरण में अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षियों के साक्ष्य से यह प्रकट नहीं है कि अभियुक्तों का एक ऐसा समूह है, जो लोक व्यवस्था को अस्त व्यस्त करने, अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिये कोई अनुचित दुनियावी, आर्थिक, भौतिक या अन्य लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से या तो अकेले या सामूहिक रूप से हिंसा या हिंसा की धमकी या प्रदर्शन या अभित्रास या उत्पीड़न द्वारा या अन्य प्रकार से समाज विरोधी क्रिया कलाप करता हो। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट के अनुमोदन की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है तथा गैंगचार्ट के अनुमोदन से पूर्व संयुक्त बैठक का अभाव है, जो उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी

इसलाम

77-3-24

सीएनआरएनओ-यूपीजेएल010074342023

जे.ओ. कोड-UP1777

जी.एस.टी. संख्या 26/2023

हस्ताक्षर

क्रेत न

अपने


नहीं की थी तथा अभियुक्त रामलखन की चल व अचल संपत्ति के बारे में मैंने कोई जानकारी नहीं की थी तथा यह साक्षी आगे अपनी प्रतिपरीक्षा में कहता है कि यह बात सही है कि धारा 302 भा०दं०सं० के मुकदमे का मैं विवेचक रहा तथा उस मुकदमे की विवेचना में मैंने अभियुक्तों के भय व आतंक के संबंध में कोई उल्लेख नहीं किया था।

15-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 2 हरिओम ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि मैंने घटना होते हुए नहीं देखी। मेरे पिता जी ने भी घटना होते हुए नहीं देखी। जब अभियुक्तगण पर दरोगा जी गैंगस्टर की कार्यवाही कर रहे थे, तब मुझे कोई सूचना नहीं मिली।

16-

अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 नागेन्द्र कुमार पाठक, जो इस मामले के विवेचक रहे हैं, ने अपनी प्रतिपरीक्षा में कहा है कि हत्या वाले मुकदमे में विवेचक व वादी का बयान मैंने अंकित किया था। वादी द्वारा अपने बयानों में हत्या का कारण पुरानी रंजिश बताया गया था। साक्षी आगे यह भी कहता है कि किसी भी जनता के व्यक्ति द्वारा मुल्जिमान के भय के संबंध में थाना कैलिया में कोई भी मुकदमा पंजीकृत नहीं कराया गया। अभियुक्तगण की सम्पत्ति के बारे में मेरे द्वारा जानकारी की गयी थी, लेकिन कोई भी सम्पत्ति कुर्क नहीं की गयी थी। मैंने ऐसी कोई भी अवैध तरीके से अर्जित सम्पत्ति नहीं पायी थी। अभियुक्तगण का पंजीकृत गैंग नहीं था। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट तैयार करने वाले पी०डब्लू० 1 ने गैंगचार्ट तैयार करते समय कहा है कि अभियुक्तगण का एक जनपद स्तरीय सक्रिय गिरोह है, जो अपने सदरस्यों के आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने के उददेश्य से हत्या जैसे जघन्य अपराध करते हैं, जिससे आम जनमानस में भय व्याप्त है, लेकिन विवेचना के अनुक्रम में अभियुक्तों द्वारा अपराध कारित करके किसी आर्थिक व भौतिक लाभ अर्जित करने का कोई साक्ष्य संकलित नहीं किया जा सका तथा अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षी पी०डब्लू० 3 ने इस तथ्य को अपनी प्रतिपरीक्षा में प्रकट भी किया है। अतः प्रस्तुत प्रकरण में अभियोजन की ओर से परीक्षित साक्षियों के साक्ष्य से यह प्रकट नहीं है कि अभियुक्तों का एक ऐसा समूह है, जो लोक व्यवस्था को अस्त व्यस्त करने, अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिये कोई अनुचित दुनियावी, आर्थिक, भौतिक या अन्य लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से या तो अकेले या सामूहिक रूप से हिंसा या हिंसा की धमकी या प्रदर्शन या अभित्रास या उत्पीड़न द्वारा या अन्य प्रकार से समाज विरोधी क्रिया कलाप करता हो। प्रस्तुत मामले में गैंगचार्ट के अनुमोदन की प्रक्रिया त्रुटिपूर्ण है तथा गैंगचार्ट के अनुमोदन से पूर्व संयुक्त बैठक का अभाव है, जो उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी

इसलाम

77-3-24
सीएनआरएनओ-यूपीजेएल010074342023

जेओ. कोड-UP1777

जीएसटी संख्या 26/2023

क्रिया कलाप निवारण नियमावली 2021 के नियम 5(3) (ए) के आज्ञापक प्रावधानों का उबंधन है। साथ ही गैंगचार्ट की संस्तुति करने में अपर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस अधीक्षक द्वारा सम्यक सावधानी नहीं बरती गयी एवं जिला मजिस्ट्रेट द्वारा सरसरी तौर पर गैंगचार्ट का अनुमोदन कर दिया गया है, जो उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण नियमावली 2021 के नियम 16 एवं 17 के प्रावधानों का उल्लंघन है। अभियुक्तों को धारा 3 उत्तर प्रदेश गिरोह बन्द एवं समाज विरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1986 के अन्तर्गत दण्ड दिया जाना न्यायोचित नहीं है एवं अभियुक्तों को प्रस्तुत मामले में दोषमुक्त किया जाना न्यायोचित है।

                          आदेश

जी०एस०टी० नं० 26/2023 उ०प्र० राज्य बनाम रामलखन राठौर उर्फ फौजी आदि में अभियुक्तगण रामलखन राठौर उर्फ फौजी एवं रविन्द्र पाण्डेय को मु०अ०सं०-62/2022, धारा 3 उ०प्र० गिरोह बंद एवं समाज विरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम 1986, थाना कैलिया, जिला जालौन के आरोप से दोषमुक्त किया जाता है।

अभियुक्त रामलखन राठौर उर्फ फौजी इस प्रकरण में जमानत पर है। अभियुक्त रामलखन राठौर उर्फ फौजी के व्यक्तिगत बंधपत्र निरस्त कर उनके प्रतिभूओ को उनके दायित्व से उन्मोचित किया जाता है।

अभियुक्त रविन्द्र पाण्डेय इस प्रकरण में जिला कारागार में निरूद्ध है। अभियुक्त रविन्द्र पाण्डेय का रिहाई आदेश अविलम्ब जिला कारागार प्रेषित हो।

दिनांक-12.08.2025

(भारतेन्द्र सिंह) 12-8.225

विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट,

जालौन स्थान उरई।

सुनाया गया। आज यह निर्णय मेरे द्वारा खुले न्यायालय में हस्ताक्षरित एवं दिनांकित करके

दिनांक-12.08.2025

(भारतेन्द्र सिंह) सिंड) 12-8-225

विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट, जालौन स्थान उरई।

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रविंद्र पाण्डेय

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