एसडीएम को किसी व्यक्ति को ज़मीन का मालिक घोषित करने का अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
एसडीएम को किसी व्यक्ति को ज़मीन का मालिक घोषित करने का अधिकार नहीं: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि एसडीएम को किसी व्यक्ति को भूमि का मालिक घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है. यदि किसी मामले में उनके निर्णय की आवश्यकता है तो ग्राम पंचायत भी आवश्यक पक्ष के रूप में मौजूद रहेगी
इलाहाबाद हाईकोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को किसी व्यक्ति को भूमि का मालिक घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है.
अदालत ने कहा कि इस तरह के पहलू पर, जहां संहिता, 2006 की धारा 144 के तहत उचित वाद कार्यवाही में उप-विभागीय अधिकारी द्वारा निर्णय की आवश्यकता है, जहां राज्य के साथ-साथ ग्राम पंचायत भी आवश्यक पक्ष होंगे.
जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र ने जयराज सिंह नामक व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका पर निर्णय करते हुए उपरोक्त टिप्पणी की. जयराज सिंह ने न्यायालय में अर्जी में प्रतिवादियों को भूमि पर लंबे समय से काबिज रहने के मद्देनजर, उनके पक्ष में पूर्ण भूमिधारी अधिकार प्रदान करने का आदेश देने के लिए एक रिट जारी करने का न्यायालय से निर्देश मांगा था.
याचिकाकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता के पक्ष में दिए गए पट्टे के संबंध में कुछ पिछली कार्यवाहियों के कारण और समय बीतने के साथ याचिकाकर्ता ने हस्तांतरणीय अधिकारों के साथ भूमिधर का दर्जा हासिल कर लिया.
उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम तथा उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के प्रावधानों का अध्ययन करने के बाद न्यायालय ने कहा कि उपखंड अधिकारी या किसी अन्य अधिकारी को प्रशासनिक पक्ष से उक्त प्रावधानों के तहत संबंधित काश्तकार के पक्ष में ऐसा घोषणापत्र जारी करने का अधिकार नहीं दिया गया है.
अदालत ने कहा, ‘संहिता, 2006 की योजना के मद्देनजर भले ही याचिकाकर्ता ने हस्तांतरणीय अधिकारों के साथ भूमिधर के रूप में दर्जा प्राप्त कर लिया हो, ऐसे पहलू पर संहिता, 2006 की धारा 144 के तहत उचित वाद कार्यवाही में एसडीएम द्वारा निर्णय की आवश्यकता है, जहां राज्य के साथ-साथ ग्राम पंचायत भी आवश्यक पक्ष होंगे और कार्यवाही में उनकी बात होगी, न कि केवल एक आवेदन पर प्रशासनिक पक्ष की
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